About the Book
नारीवाद नारी सशक्तिकरण और नारी समानता का आंदोलन है। इस आंदोलन की माँग है कि नारी को उसका अपना समूल एवं संपूर्ण व्यक्तित्व प्राप्त होना चाहिए जो उनके संपूर्ण विकास के लिए आवश्यक है। यदि नारियों को सशक्त नहीं किया जाएगा तो उन पर शोषण होते रहेंगे और महिलाएँ अपना सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन नहीं कर पाएँगी। इसलिए आवश्यक है कि सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक स्तर पर यथोचित प्रयास किए जाने चाहिए और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि महिलाओं में जागरूकता का भाव जागृत किया जाए, जिससे एक सशक्त समाज का निर्माण संभव हो सकें।
यह पुस्तक भारतीय महिला आंदोलन और नारीवादी सिद्धान्त के सभी पक्षों पर ध्यान आकृष्ट करती है जो विश्व स्तर के नारीवाद और भारतीय नारीवाद संदर्भों को एक साथ उजागर करती है। पुस्तक नारीवाद के उदय, विचारों, सिद्धान्तों, औपनिवेशिक काल में महिलाओं के संघर्षों, स्वतंत्रता पूर्व, स्वतंत्रता पश्चात् तथा समकालीन भारत की स्थिति और महिलाओं के समस्त मुद्दों की विस्तृत व्याख्या करती है। यह बदलते संदर्भों में महिलाओं की परिवारों, समुदायों और राज्यों में क्या स्थिति है, इसका भी आकलन करती है।
हमारे समाज में महिलाओं की सुरक्षा का प्रश्न आज भी मानवाधिकार के साथ जुड़ा हुआ है। इस दृष्टि से यह विचार-विमर्श के साथ जुड़ गया है कि क्या महिलाएँ समाज की विकृत मानसिकता, पितृसत्ता, यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, वेश्यावृत्ति, लैंगिक असमानता से कभी बाहर निकल भी पाएँगी या नहीं। समाज में महिलाओं के प्रति हो रही हिंसा और दुर्व्यवहार को हम कभी रोक भी पाएँगे या नहीं? इन्हीं सभी प्रश्नों को सम्बोधित करती यह पुस्तक महिलाओं के अधिकारों के विभिन्न आयामों को समझने में मील का पत्थर साबित होगी।
Contents
1 प्रस्तावना
2 मानव अधिकार: एक संकल्पना
3 मानव अधिकार: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
4 वैश्विक परिदृश्य एवं महिला मानवाधिकार
5 भारत में महिला मानवाधिकार:
संवैधानिक संरक्षण एवं वैधानिक प्रावधान
6 मानवाधिकार एवं महिला विकास कार्यक्रम
7 महिलाओं वेफ विरु( अपराध
8 लैंगिक समानता: मानवाधिकार की आवश्यकता
9 सुझाव एवं उपसंहार
About the Author / Editor
संतोष कुमार सिंह, सम्प्रति रानी धर्म कुँवर राजकीय महाविद्यालय दल्लावाला-खानपुर, हरिद्वार (उत्तराखण्ड) में असिस्टेंट प्रोफेसर (राजनीति विज्ञान) के पद पर कार्यरत हैं। वर्ष 2000 से आप निरंतर अध्यापन कार्य में संलग्न रहे हैं। अब तक आपके 60 से अधिक शोध पत्र राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं। आपने अनेक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध पत्रों के माध्यम से प्रतिभाग भी किया है। वर्ष 2019 में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग भारत, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित ‘महात्मा गाँधी द्विवार्षिक हिन्दी लेखन पुरस्कार योजना’ के अंतर्गत प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया। वर्ष 2016 में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग भारत, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित निबंध प्रतियोगिता विषयः ‘आधी आबादी के अस्तित्व का संकट तथा मानव अधिकार’ के अंतर्गत द्वितीय पुरस्कार प्रदान क्या गया।