About the Book
सामान्यतः राजनीतिक चिन्तन को केवल पश्चिम की ही परम्परा एवं थाती माना जाता है परन्तु भारत में भी लगभग पाँच हजार वर्षों से भी अधिक प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति में राजनीतिक चिन्तन की पर्याप्त गौरवशाली परम्परा रही है। पाश्चात्य राजनीतिक चिन्तन की तुलना में भारतीय चिन्तन व्यापक धर्म की अवधारणा से समृद्ध तथा उसका स्वरूप मुख्यतः आध्यात्मिक एवं नैतिक है। मनु, कौटिल्य तथा शुक्र के चिन्त में धर्म, आध्यात्म, इहलोक संसार, समाज, मानव जीवन, राज्य संगठन आदि के एकत्व एवम् पारस्परिक सम्बन्धों का तानाबाना पाया गया है। पश्चिम के वर्चस्व को स्वीकार करते हुए अंग्रेजी सभ्यता, संस्कृति, राजनीति एवं उधोगवाद को देखकर उनकी सफलता तथा अपनी दयनीय दुरावस्था के कारकों को समझने का प्रयास राजा राममोहन राय ने किया। दयानन्द सरस्वती ने वेद, वैदिक सभ्यता और संस्कृति के गौरवपूर्ण वैभव को पुनः प्राप्त करने के लिए विवेकपूर्ण सनातन आर्य धर्म का मार्ग प्रशस्त किया। भारत की सबसे बड़ी समस्या राजनीतिक स्वाधीनता की प्राप्ति रहा है। इस दिशा में गोपाल कृष्ण गोखले, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरू, जय प्रकाश नारायण आदि के विचार एवं भूमिका महत्वपूर्ण रही हैं। डा. भीमराव अम्बेड़कर ने सामाजिक समानता और न्याय को सर्वाधिक महत्वपूर्ण मानते हुए दलितोत्थान को स्वाधीनता एवं स्वाधीन भारत की पूर्व आवश्यकता बना दिया। डा. एम.एन. राय ने नये भारत के लिए मार्क्सवादी माॅडल के चिन्तन को निरस्त करते हुए एक धर्म-निरपेक्ष नवमानवतावादी विचारधारा की नींव रखी। जवाहर लाल नेहरू ने लोकतंत्र-मिश्रित समाजवादी तथा धर्म-निरपेक्षवादी शासन-व्यवस्था की स्थापना कर उसके सफलतापूर्वक संचालन में अहम् भूमिका अदा की।
आशा है, प्रस्तुत पुस्तक राजनीति विज्ञान के विद्यार्थियों के लिये उपयोगी सिद्ध होगी।
Contents
• मनु
• आचार्य कौटिल्य
• आचार्य शुक्र
• राजा राममोहन राय
• महर्षि दयानन्द सरस्वती
• गोपाल कृष्ण गोखले
• लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
• महात्मा गाँधी
• जवाहरलाल नेहरू
• मानवेन्द्रनाथ राय
• बाबा साहेब डाॅ. भीमराव रामजी अम्बेडकर
• लोकनायक जयप्रकाश नारायण
About the Author / Editor
बी.एम. शर्मा, राजनीति विज्ञान विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय में पिछले तीन दशकों से भी अधिक समय से अध्यापन कार्य कर रहे हैं। आपकी एक दर्जन से अधिक पुस्तकें तथा लगभग पचास शोध-पत्र विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय एवम् राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। इनमें से पाँच पुस्तकें तथा अनेक शोध-पत्र भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों, राज्य सरकारों तथा विभिन्न शोध संस्थानों द्वारा पुरस्कृत भी किये जा चुके हैं। सम्प्रति आप राजनीति विज्ञान विभाग में प्रोफेसर, विश्वविधालय सिण्डीकेट (कार्यकारी परिषद) के सदस्य तथा समाज विज्ञान शोध-केन्द्र के निदेशक हैं तथा पूर्व में समाज विज्ञान संकाय के आधिष्ठा, राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष तथा प्रशासनिक सेवा पूर्व-प्रशिक्षण केन्द्र के निदेशक रह चुके हैं।
राम कृष्ण दत्त शर्मा, पीएच.डी., पिछले कुछ वर्षों से राजनीति विज्ञान एवं लोक प्रशासन के अध्ययन-अध्यापन से जुडे़ हैं। आप पं. जवाहर लाल नेहरू डाॅक्टोरल फैलोशिप से सम्मानित है तथा आपके विभिन्न शोध-लेख राष्ट्रीय स्तर की अनेक पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।
सविता शर्मा, पीएच.डी., राजनीति विज्ञान एवं लोक प्रशासन के शिक्षण कार्य से जुड़ी हुई हैं। वर्तमान में आप पोस्ट-डाॅक्टोरल शोध में संलग्न है। आपके अनेक लेख राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।