About the Book
स्वाधीनता के पचास वर्ष बाद भी भारत में स्थानीय स्तर तक शासन का विकेन्द्रीकरण मात्रा एक औपचारिकता है। यद्यपि 73वें तथा 74वें संवैधानिक संशोधन पारित कर हमने लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण व अभिनन्दनीय प्रयास किया है, लेकिन यह मात्रा एक शुरूआत है। आवश्यकता इस बात की है कि केन्द्र तथा राज्य सरकारों की भांति स्थानीय स्तर पर भी ‘स्थानीय सरकारों’ की स्थापना की जाये। प्रस्तुत कृति में स्थानीय स्तर पर ‘जिला-सरकार’ की स्थापना कर शासन-प्रशासन के अधिकाधिक विकेन्द्रीकरण करने तथा नई सहस्त्राब्दी में शासन की एक नई अवधारणा, नई विधा एवम् नई शैली की स्थापना करने का आग्रह किया गया है। ‘जिला-सरकार’ की अवधारणा, स्वरूप एवं संभावनाओं को प्रस्तुत करते हुए इसे लोकतंत्र के एक ‘स्वदेशीय माॅडल’ (indigenous model), गांधीजी के ‘ग्राम-स्वराज’ एवं ‘नगर-स्वराज’ के रूप में 21वीं शताब्दी में स्थापित करने पर जोर दिया गया है। ‘जिला-सरकार’ परम्परागत द्विस्तरीय संघ-शासनों के स्थान पर त्रि-स्तरीय संघ-शासन की स्थापना करती है, यह दुनियाँ के संघ-शासनों को भारत की एक महत्वपूर्ण देन होगी। ‘जिला-सरकार’ देश में सही मायने में ‘तृणमूल-लोकतंत्र’ की स्थापना करने में सहायक होगी।
प्रस्तुत कृति में ‘जिला-सरकार’ का माॅडल प्रस्तुत करते हुए उसकी स्थापना के संभावित तीन चरणों का मौलिक एवम् व्यवस्थित विवेचन किया गया है। इसमें ‘जिला-सरकार की संरचना, विषय-वस्तु एवम् प्रक्रियाओं का विशद विवेचन किया गया है, साथ ही अभी हाल ही में मध्य प्रदेश में स्थापित ‘जिला-सरकार को स्थानीय शासन की दिशा में किये जा रहे सुधारों की प्रथम प्रयोगशाला मानते हुए एक श्लाधनीय एवम् प्रशंसनीय उपलब्धि के रूप में विश्लेषित किया गया है। ‘जिला-सरकार’ की स्थापना में आने वाली चुनौतियों तथा उनके सम्यक् समाधान हेतु संभावनाओं पर एक दूरदर्शी अध्ययन प्रस्तुत किया गया है।
Contents
1 जिला प्रशासन से जिला सरकार की ओर
2 जिला सरकार: एक अवधारणात्मक विवेचन
3 भारत में स्थानीय शासन: प्राचीन काल से स्वतन्त्रता-प्राप्ति तक
4 भारत में स्थानीय शासन: स्वतन्त्रता-प्राप्ति से आज तक
5 73वां एवम् 74वां संवैधानिक संशोधन: ग्राम स्वराज एवम् नगर स्वराज की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
6 जिला सरकार: इक्कीसवीं शताब्दी के लिए एक प्रतिमान
7 मध्य प्रदेश: जिला सरकार की प्रथम प्रयोगशाला
8 जिला सरकार: चुनौतियां एवम् संभावनाएं
About the Author / Editor
बी.एम. शर्मा ने राजनीति विज्ञान विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय में तीन दशकों से भी अधिक समय तक अध्यापन कार्य किया। आप राजनीति विज्ञान विभाग में प्रोफेसर, विश्वविधालय सिण्डीकेट (कार्यकारी परिषद) के सदस्य, समाज विज्ञान शोध-केन्द्र के निदेशक, समाज विज्ञान संकाय के आधिष्ठा, तथा प्रशासनिक सेवा पूर्व-प्रशिक्षण केन्द्र के निदेशक रह चुके हैं। आपके विशेषज्ञता क्षेत्र भारतीय राजनीति, लोक प्रशासन, पंचायती राज तथा पुलिस प्रशासन आदि हैं। आप पंडित गोविन्द वल्लभ पंत, सरदार वल्लभ भाई पटेल एवं बी.आर. अम्बेडकर स्मृति पुरस्कारों से सम्मानित हैं तथा विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय एवम् राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में समय-समय पर आपके शोध पत्र प्रकाशित होते रहते हैं।
ब्रज भूषण शर्मा, सम्प्रति सहायक निदेशक, स्थानीय निधि अंकेक्षण विभाग, राजस्थान, जयपुर के पद पर कार्यरत हैं। आपने पूर्व में दो वर्षों तक अध्यापन कार्य भी किया है।
आशीष भट्ट मध्यप्रदेश सामाजिक विज्ञान शोध संस्थान, उज्जैन में एसोसिएट फैलो हैं। आपने ग्रामीण विकास एवं जनजातीय मुद्दों से सन्दर्भित कई महत्वपूर्ण शोध परियोजनाओं पर कार्य किया है। प्रमुखतः पंचायत राज एवं जनजातीय विकास आपके रूचि के क्षेत्र हैं। आपने इन विषयों पर आयोजित कई महत्वपूर्ण गोष्ठियों में भाग लिया है तथा शोध-पत्र भी प्रस्तुत किये हैं।