जनजातीय विकास (JANJATIYA VIKAS: MITHAK AIVAM YATHARTH – Development of Scheduled Castes: Myth and Reality) – Hindi

Naresh Kumar Vaidya

जनजातीय विकास (JANJATIYA VIKAS: MITHAK AIVAM YATHARTH – Development of Scheduled Castes: Myth and Reality) – Hindi

Naresh Kumar Vaidya

-15%106
MRP: ₹125
  • ISBN 9788170338031
  • Publication Year 2003
  • Pages 208
  • Binding Paperback
  • Sale Territory World

About the Book

जनजातीय विकास के ज्वलंत मुद्दे पर न यह प्रथम पुस्तक है और न ही संभवत: अंतिम; परन्तु पुस्तक की लेखन शैली वास्तव में भिन्न है। मानवशास्त्रीय पृष्ठभूमि एवं पत्रकारिता के अनुभव के संयोग से लेखक ने सरकारी आंकड़ों, तथ्यों एवं तर्कों के द्वारा ही पुस्तक के शीर्षक को न्यायोचित किया है। समाज वैज्ञानियों, समाज विज्ञान के छात्रों, जनजातीय कार्य के साामाजिक कार्यकर्त्ताओं एवं आम भारतीय के लिए भी यह पुस्तक मार्गदर्शक बन सकती है। पुस्तक में ‘जनजाति’ एवं विकास की परिभाषा से लेकर जनजाति विकास के लिए किए गए अद्यतन कार्य का विश्लेषण ही नहीं किया गया, कार्य को सम्पन्न करने के उचित मार्ग के लिए रास्ता भी सुझाया गया है।


Contents

विकास की अवधारणा
जनजातियों का सरकारी विवरण
भारत में अनुसूचित जनजातियों की राज्यवार सूची
जनजातीय विकास का सरकारी विवरण
जनजातीय क्षेत्रों की राज्यवार सूची
योजनाएं एवं जनजातीय विकास
जनजातीय विकास-एक क्रूर मजाक
कुछ बातें संक्षेप में
कहां है समस्या की जड़
आखिर रास्ता क्या है
स्वीकृत आदिम जनजातीय समूहों की सूची


About the Author / Editor

नरेश वैद्य (जन्म 1955): पंजाब विश्वविद्यालय से मानवशास्त्र में स्नातक (आनर्ज) एवं स्नातकोत्तर (आनर्ज स्कूल), दिल्ली विश्वविद्यालय से शोध। वर्तमान पीढ़ी के प्राख्यात मानवशास्त्री, भोटिया एवं राजि जनजातियों के विशेषज्ञ। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, शोध पत्रिकाओं में सैंकड़ों निबंध प्रकाशित, समाजविज्ञानों की पत्रिकामानव के प्रबंध संपादक, जैविक मानवशास्त्र, इकॉनॉमी एण्ड सोशल रिलेशन्स, हू केयर्स फॉर ट्राइबल डेवलपमेन्ट जैसी प्रसिद्ध पुस्तकों के लेखक।  भूतपूर्व पत्रकार, शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता, ‘इरा’ देहरादून एवं ‘तुलसी संस्थान’ इलाहाबाद के द्वारा समाज विकास कार्य में रत, देश में मानवशास्त्र के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका।


Your Cart

Your cart is empty.