About the Book
भारत में अपराधशास्त्र पर बहुत कम पुस्तकें लिखी गई हैं। प्रस्तुत पुस्तक, जो लेखक के इस विषय में विशेष रुचि एवं गहन अध्ययन का परिणाम है, इस महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में स्वदेशी साहित्य की एक कड़ी के रुप में है। यह पुस्तक न केवल भारतीय विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर स्तर पर अपराधशास्त्र में निर्धारित पाठयक्रम को अपनी परिधि में लेती है बल्कि उन विषयों का भी विश्लेषण करती है जिनको सम्भावित रूप से स्नातकोत्तर स्तर पर प्रारम्भ किया जा सकता है। इनमें से कुछ विषय महिलाओं के विरुद्ध अपराध, राजनैतिक अपराध, तथा युवा और अपराध आदि हैं। अधिकतर विषयों का आलोचनात्मक विश्लेषण समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण की ओर उन्मुख है और समष्टिवादी परिप्रेक्ष्य पर आधारित है। जहां कहीं आवश्यक समझा गया वहां सैद्धान्तिक व्याख्या भी दी गई है। इस प्रकार यह पुस्तक इस क्षेत्र में उपयुक्त पाठ्यपुस्तक के रूप में लम्बे समय से अनुभव की जाने वाली कमी की पूर्ति करती है। इसके साथ ही यह निश्चय ही विस्तृत विषय पढ़ने वालों के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी क्योंकि यह सरल शैली एवं अधिकारिक शब्दावली में अपराधशास्त्र के महत्त्वपूर्ण विषयों की सुबुद्ध समीक्षा प्रस्तुत करती है।
Contents
• अपराध, अपराधी और अपराधशास्त्र
• अपराधी व्यवहार के सिद्धान्त
• अपराध के कारक
• बाल अपराध
• महिला अपराध
• संगठित अपराध
• श्वेतवसन (व्यावसायिक) अपराध
• पेशेवर अपराध
• राजनैतिक अपराध
• महिलाओं के प्रति अपराध
• युवा और अपराध
• दण्ड
• प्राण दण्ड
• कारागृह
• परिवीक्षा एवं पैरोल
• पुलिस
• अपराध में क्षतिग्रस्त व्यक्ति
About the Author / Editor
डॉ. राम आहूजा राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के समाजशास्त्र विभाग के प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष एवं ICSSR के सीनियर फेलो रहे। दीर्घ शैक्षणिक व शोध अनुभव के आधार पर उनकी अनेक पुस्तकें और शोध प्रबन्ध प्रकाशित हो चुके हैं। देश की विभिन्न पुलिस अकादमियों और प्रशासकीय प्रशिक्षण संस्थाओं में वे दो दशकों तक अतिथि-वक्ता रहे।
डॉ. मुकेश आहूजा 1994 से एस.एस.जैन सुबोध काॅलेज, जयपुर में समाजशास्त्र के प्राध्यापक हैं।