जनजातीय समाजशास्त्र (Janjatiya Samajshastra – Tribal Sociology) Hindi

एस.एल. दोषी एवं पी.सी. जैन (S.L. Doshi and P.C. Jain)

जनजातीय समाजशास्त्र (Janjatiya Samajshastra – Tribal Sociology) Hindi

एस.एल. दोषी एवं पी.सी. जैन (S.L. Doshi and P.C. Jain)

-15%336
MRP: ₹395
  • ISBN 9788131611128
  • Publication Year 2020
  • Pages 336
  • Binding Paperback
  • Sale Territory World

About the Book

प्रस्तुत पुस्तक जनजातीय समाजशास्त्र, समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य में जनजातीय समाज को समझने का एक व्यापक और वैज्ञानिक प्रयास है। यह पुस्तक जनजातीय समाज के विभिन्न पक्षों जैसे धर्म, विवाह, परिवार, नातेदारी, अर्थव्यवस्था इत्यादि का विहंगम विश्लेषण करती है। साथ ही जनजातीय समाज को राष्ट्र की मुख्यधारा के साथ जोड़ने के उन कारकों का भी विश्लेषण करती हैं जिनकी वजह से उनके कुछ समूहों में आज भी पिछड़ापन है। इन्हीं पिछड़ेपन के कारणों व समस्याओं का विश्लेषण के साथ कुछ सुझावों का समावेश भी पुस्तक में किया गया है।


Contents

• Tribal Sociology: An Introduction
• Concept of Tribe: Tribe and Caste
• Demographic Profile of Tribals
• Classification of Tribal Groups
• Tribal Society: Socio-Cultural Profile
• Status of Women
• Family
• Tribal Marriage
• Kinship System
• Religious Beliefs, Practices and Cultural Traditions
• Tribal Language
• Social Mobility and Change
• Tribals: Problems and Solutions
• Tribal Movement: Colonial and Post-Independence Period
• Tribal Integration and Identity
• Major Tribal Groups of India


About the Author / Editor

एस.एल. दोषी ने लगभग 40 वर्षों तक जनजातीय समाज के क्षेत्र में अनुसंधन कार्य किया है। आपने मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर, साउथ गुजरात विश्वविद्यालय, सूरत, महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय रोहतक में अध्यापन व अनुसंधान कार्य किया है। आप द्वारा किये गये जनजाति विषयक अनुसंधानों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली, भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली तथा भारत सरकार द्वारा प्रायोजित किया गया है।

पी.सी. जैन जनादर्न राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, उदयपुर में विभागाध्यक्ष एवं आचार्य पद पर कार्य कर चुके हैं। आपको अनुसंधान व अध्यापन का 33 वर्षों का अनुभव है। आपने पाठ्यपुस्तकों के साथ-साथ संदर्भ ग्रन्थों का भी लेखन कार्य किया है। आपके सामाजिक आन्दोलन, सामाजिक स्तरीकरण और सामाजिक परिवर्तन से सम्बंधित अनेक लेख एवं पुस्तकें प्रकाशित हैं।


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