मानवशास्त्र विश्वकोश (MANAVSHASTRA VISHVAKOSH – Encyclopedia of Anthropology) – Hindi

Harikrishna Rawat

मानवशास्त्र विश्वकोश (MANAVSHASTRA VISHVAKOSH – Encyclopedia of Anthropology) – Hindi

Harikrishna Rawat

-15%421
MRP: ₹495
  • ISBN 9788170337416
  • Publication Year 2002
  • Pages 556
  • Binding Paperback
  • Sale Territory World

About the Book

मानवशास्त्र (मानवविज्ञान) न तो अब एक अज्ञात विषय रह गया हैै और न ही पहले की भाँति इसका अध्ययन मात्र आदिम जातियोंं और इतर संस्कृतियोंं तक सीमित हैै। आज मानवीय ज्ञान केे क्षेत्रों में यह सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण और तीव्र गति से बढऩे वाला एक विषय हैै। इस विज्ञान ने हमारेे विश्व को समझने मेंं महत्ती भूमिका अदा की हैै। इस विषय के समष्टिवादी और पार-सांस्कृृतिक परिप्रेक्ष्य ने सिद्धान्त और पद्धति केे क्षेत्र में अपार योगदान कर शोधकर्त्ताओं और सामान्यजन दोनोंं को आकर्षित किया हैै।
इस कोश में मानवविज्ञान की सभी प्रमुख शाखाओं, यथा, भौतिक, सामाजिक और सांस्कृृतिक केे अतिरिक्त पुरातत्वशास्त्र, पारिस्थितिकी, मानव उद्विकास और भाषा विज्ञान आदि की लगभग सभी संकल्पनाओं (कान्सेप्टस), धारणाओं और उपागमों को सम्मिलित करने का प्रयास किया गया हैै। पुस्तक को अद्यतन बनाने की दृष्टि से इसमें उद्विकासवाद, प्रसारवाद, प्रकार्यवाद, संरचनावाद केे साथ-साथ प्रक्रियात्मक, क्रियान्मुखी और मार्क्सवादी सिद्धान्त, सापेक्षवाद, उत्तर-संरचनावाद तथा अधुनातन व्याख्यात्मक तथा उत्तर-आधुनिकतावादी दृष्टिकोणों के अतिरिक्त वैश्वीकरण, विश्व व्यवस्था सिद्धान्त, स्टेेम सेल और क्लोनिंग जैसे नवीनतम विषयों को भी सम्मिलित किया गया हैै।
यह कोश मुख्यत: विद्यार्थियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर लिखा गया हैै, किन्तु यह अकादमिक मानवशास्त्रियोंं और सामान्यजन केे लिये भी एक उपयोगी संदर्भ ग्रंथ सिद्ध होगा, ऐसी आशा हैै। कुछ जटिल शब्दों और अवधारणाओं को अधिक बोधगम्य बनाने हेेतु उनकेे साथ ही कोष्ठक में अंग्रेजी शब्दों को देवनागरी लिपि मेंं दिया गया हैै।


Contents



About the Author / Editor

हरिकृष्ण रावत ने अपने शैक्षिक जीवन का समारम्भ महाराजा कालेज, जयपुर से तब किया जब राजस्थान के गिने-चुने महाविद्यालयों में समाजशास्त्र विषय पढ़ाया जाता था। कुछ वर्षों के बाद इनका स्थानान्तरण राजस्थान के समाजशास्त्र विषय के प्रणेता महाविद्यालय, सनातन धर्म राजकीय महाविद्यालय, ब्यावर में हो गया, जहाँ उन्होंने एक लम्बे समय तक स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं में अध्यापन एवं शिक्षण द्वारा इस विषय का गहन अनुभव बटोरा। बाद में उपाचार्य और प्राचार्य पदों पर एक दीर्घ समय तक कार्य करते हुए वर्ष 1992 में सेवानिवृत हुए।


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