समाजशास्त्रीय विचारक: प्रमुख पाश्चात्य विचारक (समाजशास्त्र रीडर - II) Social Thinkers (Hindi)

नरेश भार्गव, वेददान सुधीर, अरुण चतुर्वेदी और संजय लोढ़ा (Naresh Bhargava, Veddan Sudhir, Arun Chaturvedi and Sanjay Lodha)

समाजशास्त्रीय विचारक: प्रमुख पाश्चात्य विचारक (समाजशास्त्र रीडर - II) Social Thinkers (Hindi)

नरेश भार्गव, वेददान सुधीर, अरुण चतुर्वेदी और संजय लोढ़ा (Naresh Bhargava, Veddan Sudhir, Arun Chaturvedi and Sanjay Lodha)

-15%383
MRP: ₹450
  • ISBN 9788131610459
  • Publication Year 2021
  • Pages 212
  • Binding Paperback
  • Sale Territory World

About the Book

किसी भी अन्य शास्त्र की तरह समाजशास्त्र को एक सैद्धांतिक विषय के रूप में स्थापित करने में अनेक विद्वानों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिन्होंने तत्कालीन समाजशास्त्र की परिधि को बांधने का प्रयास किया। इन्होंने मनुष्य, समाज और इनके सम्बन्धों से जुड़ी नई सैद्धांतिक रचनाएँ कीं और इन्हीं के सम्बन्ध में नई अवधारणाओं को भी विकसित किया। इन प्रतिष्ठित और स्थापित विद्वानों के मतों और आग्रहों के अनुसार समाजशास्त्र में नए आधार स्थापित हुए। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि इन चिंतकों ने समाजशास्त्र में वे आधार स्थापित किए, जिनके सूत्रों ने समाजशास्त्रीय विचारों को न केवल अंकित किया बल्कि आज के समाजशास्त्र की आधारशिला रखते हुए उन्हें पोषित भी किया। कार्ल मार्क्स, मैक्स वेबर, इमाइल दुर्खीम, पितरिम सोरोकिन, विल्फ्रेड पेरेटो तथा अन्य चिंतक समाजशास्त्र की विकास यात्रा के ऐसे ही प्रतिभागी थे। इन चिंतकों ने मौलिक समाजशास्त्रीय रचनाओं के साथ-साथ उन पद्धतियों को भी विकसित किया जिनके आधार पर भविष्य के समाजशास्त्र की रूपरेखा तैयार करना सम्भव हुआ। इनके द्वारा प्रस्तुत अवधारणाओं ने बदलते हुए समाज की कल्पनाओं को भी साकार रूप प्रदान किया। अतः समाज और समाजशास्त्र में रुचि रखने वाले पाठकों तथा विद्यार्थियों के लिए इन चिंतकों को जानना और समझना अनिवार्य हो जाता है। इस संकलन में समाजशास्त्र के ऐसे ही सात प्रमुख विचारकों के विचारों, उनके द्वारा प्रस्तुत अवधारणाओं और सिद्धांतों को प्रस्तुत किया गया है। आशा है यह संकलन पाठकों को एक प्रारम्भिक समझ विकसित करने में सहायक होगा।


Contents

ऑगस्ट काम्टे
कार्ल मार्क्स
मैक्स वेबर
इमाइल दुर्खीम
विल्फ्रेडो परेटो
हर्बर्ट स्पेन्सर
पितरिम सोरोकिन


About the Author / Editor

नरेश भार्गव, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग में तीन दशकों से अधिक कार्य। राजस्थान समाजशास्त्र परिषद् की पत्रिका के पूर्व संपादक। सामाजिक आन्दोलन, नागर समाज, जाति व्यवस्था, राजस्थान की सामाजिक व्यवस्था और राजनीतिक समाजशास्त्र आपके शोध के विशेष क्षेत्र रहे हैं। वर्तमान में जनबोध संस्थान, उदयपुर के अध्यक्ष।

वेददान सुधीर, विद्या भवन रूरल इंस्टिट्यूट, उदयपुर के राजनीतिक विज्ञान विभाग में पूर्व प्राध्यापक। भारत के संविधान और राजनीतिक व्यवस्था पर शोध। ‘मूल प्रश्न’ पत्रिका के संस्थापक संपादक। वर्तमान में अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के ‘अनुवाद पहल’ कार्यक्रम में योगदान दे रहे हैं।

अरुण चतुर्वेदी, कॉलेज शिक्षा निदेशालय (राजस्थान सरकार), विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन और मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के राजनीति विज्ञान विभाग में प्राध्यापक। सुखाड़िया विश्वविद्यालय के सामाजिक और मानविकी महाविद्यालय तथा विधि महाविद्यालय के पूर्व अधिष्ठाता। भारतीय विदेश नीति, अंतर्राष्ट्रीय कानून, राजनीतिक चिंतन और भारतीय राजनीतिक व्यवस्था उनके शोध और लेखन के विशेष क्षेत्र रहे हैं। वर्तमान में अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के ‘अनुवाद पहल’ कार्यक्रम में योगदान दे रहे हैं।

संजय लोढ़ा, कॉलेज शिक्षा निदेशालय (राजस्थान सरकार) और मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के राजनीति विज्ञान विभाग में प्राध्यापक व सामाजिक और मानविकी महाविद्यालय तथा स्नातकोत्तर अध्ययन विभाग के पूर्व अधिष्ठाता। आप दो दशकों से अधिक समय से दिल्ली स्थित विकासशील समाज अध्ययन केंद्र के लोकनीति नेटवर्क से जुड़े हुए हैं। लोकतान्त्रिक विकेंद्रीकरण, मतदान अध्ययन, अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध और राजस्थान की राजनीति उनके शोध और लेखन के विशेष क्षेत्र रहे हैं। वर्तमान में अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के ‘अनुवाद पहल’ कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं।


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