About the Book
सामाजिक आन्दोलन प्रमुख रूप से राजनीतिक एवं/अथवा सामाजिक परिवर्तन के लिए
असंस्थागत सामूहिक राजनीतिक प्रयास का ही एक रूप है। भारत में पिछली कुछ
शताब्दियों में इस प्रकार के अनेक आन्दोलन हुए हैं परन्तु विद्वानों ने
इनका गहराई से अध्ययन हाल ही में प्रारम्भ किया है।
पूर्णतः संशोधित तथा
अद्यतन प्रस्तुत पुस्तक में भारत में सामाजिक आन्दोलनों को नौ श्रेणियों,
यथा किसान, जनजाति, दलित, पिछड़ी जाति, महिला, छात्र, मध्यम वर्ग, कामकाजी
वर्ग तथा मानव अधिकार व पर्यावरणीय समूहों, में विभक्त किया गया है। ये
श्रेणियां प्रतिभागियों और मुद्दों पर आधरित हैं। पुस्तक के प्रत्येक
अध्याय को प्रमुख सामाजिक आन्दोलनों के प्रमुख घटकों, यथा, मुद्दों,
विचारधारा, संगठन एवं नेतृत्व के आधार पर विभाजित किया गया है।
भारत
में 1857 से लेकर अब तक हुए सामाजिक आन्दोलनों से सम्बन्धित साहित्य की
समीक्षा करते हुए लेखक ने विभिन्न आन्दोलनों की प्रमुख प्रवृत्तियों के
विश्लेषण के दौरान विभिन्न विद्वानों द्वारा उठाए गए सैद्धान्तिक मुद्दों
पर भी अपने विचार व्यक्त किए हैं। सारांक्ष रूप में, उन्होनें भविष्यगत शोध
के क्षेत्रों को भी इंगित किया है।
आध्ुनिक भारत में सामाजिक आन्दोलनों
का एक तार्किक वर्गीकरण प्रस्तावित करते हुए लेखक ने यह आशा व्यक्त की है
कि प्रस्तुत पुस्तक सामाजिक कार्यकर्त्ताओं के साथ-साथ राजनीतिक विज्ञान
शास्त्रियों, इतिहासकारों और समाजशास्त्रियों के लिए अत्यन्त अमूल्य कृति
सिद्ध होगी।
Contents
• कृषक आंदोलन
• जनजातीय आंदोलन
• दलित आंदोलन
• पिछड़ी जाति/वर्ग आंदोलन
• महिलाओं के आंदोलन
• औद्योगिक कामगार (श्रमिक) वर्ग के आंदोलन
• विद्यार्थियों के आंदोलन (छात्र आंदोलन)
• मध्यम वर्ग के आंदोलन
• मानव अधिकार और पर्यावरणात्मक आंदोलन
• उपसंहार और भविष्यगत शोध
About the Author / Editor
घनश्याम शाह सेन्टर फॉर सोश्यल स्टॅडीज, सूरत में निदेशक (1976-85,
1991-96)ः लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशानिक अकादमी, मसूरी में डॉ.
अम्बेडकर चेयर प्रोफेसर (1996-97) तथा सोश्यल मेडिसिन एण्ड कम्यूनिटी हैल्थ
विभाग, जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, नई दिल्ली (1997-2003) में
समाजशास्त्र के प्रोफेसर के पदों पर रह चुके हैं। वे नीदरलैंड इंस्टीट्यूट
ऑफ एडवांस्ड् स्टॅडी इन द ह्यूमनिटीज एंड सोश्यल सांईसेज, वासेनार के फैलो
भी रह चुके हैं।
प्रोफेसर शाह ने लोक प्रशासन विभाग, साउथ गुजरात
विश्वविद्यालय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय एवं शिकागो यूनिवर्सिटी के
राजनीति विज्ञान विभाग में भी अध्यापन किया है। उन्हें सन् 1979 एवं 1980
में राजनीति विज्ञान में शोध के लिए वी.के.आर.वी. राव पुरस्कार तथा 1998
में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा राजनीति विज्ञान में राष्ट्रीय
पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
प्रोफेसर शाह ने पन्द्रह से अधिक
पुस्तकों का लेखन व सम्पादन किया है, जिनमें प्रमुख हैंः पब्लिक हैल्थ
एण्ड अरबन डवलपमेन्टः दी स्टडी ऑफ द सूरत प्लेग (1997), सोश्यल
ट्रांसफॉरमेशन इन इण्डिया (1997), सोश्यल जस्टिसः ए डाइलॉग (1998), दलित
आइडेन्टिटी एण्ड पॉलिटिक्स (2001), कॉस्ट एण्ड डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स इन
इण्डिया (2004) और अनटचेबिलिटी इन रूरल इण्डिया (2006)।