About the Book
प्रस्तुत पुस्तक को तैयार करने के पीछे कुछ निश्चित उद्देश्य हैं। समाज विज्ञानों में सामाजिक विचारकों को लगभग सभी विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में सम्मानपूर्ण स्थान प्राप्त हैं। हिन्दी में सामाजिक विचारकों पर पर्याप्त सामग्री का अभाव है। फिर भी जो कुछ साहित्य विचारकों पर उपलब्ध है उसमें सामान्यतया बहुआयामी संदर्श नहीं अपनाया गया है। वे विषय जो प्रायः पाठ्यक्रम में होते हैं उन्हीं का निर्वाह विचारकों की पुस्तकों में मिलता है। ऐसी अवस्था में विचारकों को उनके सम्पूर्ण कृतित्व के रूप में समझने का अवसर पाठकों और विद्यार्थियों को नहीं मिलता। यह पुस्तक इस कमी को पूरा करेगी।
इस पुस्तक का उद्देश्य यह भी है कि इसमें किसी विचारक पर कोई मौलिक सामग्री नहीं दी गयी है। प्रस्तुत पुस्तक का उद्देश्य विचारकों का निर्बाध निर्वचन करना है।
सामाजिक विचारकों पर बहुत कुछ लिखा गया है। लेकिन अपनी बात को लिखने और प्रस्तुत करने का तरीका प्रत्येक लेखक का अलग होता है। इसका प्रमाण प्रस्तुत पुस्तक में पाठकों और विचारकों को पर्याप्त रूप से मिलेगा।
Contents
कार्ल मार्क्स
• कार्ल मार्क्स (1818-1883 ई.)
• कार्ल मार्क्स के निर्णायक विचार
• द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद
• ऐतिहासिक भौतिकवाद
• बदलती उत्पादन पद्धतियां: आदिम साम्यवाद से समाजवाद तक
• वर्ग और वर्ग संघर्ष
• कार्ल मार्क्स : सामाजिक परिवर्तन (क्रान्ति) का सिद्धान्त
• सोवियत रूस के विघटन के सन्दर्भ में मार्क्स की प्रासंगिकता
इमाइल दुर्खीम
• इमाइल दुर्खीम: व्यक्तित्व एवं कृतित्व
• समाज में श्रम विभाजन: सामाजिक सुदृढ़ता और प्रकार्यात्मक विश्लेषण
• समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम: सामाजिक तथ्य
• आत्महत्या: व्यक्ति और समाज
• धार्मिक जीवन के प्रारंभिक स्वरूप: धर्म और ज्ञान मीमांसा
• राजनीतिक विचारधारा: समाजवाद
मेक्स वेबर
• मेक्स वेबर और यूरोपीय समाजशास्त्र
• मेक्स वेबर: व्यक्तित्व एवं कृतित्व
• विधिशास्त्र: विज्ञान का अवधारणा
• आदर्श प्रारूप
• अधिकारीतन्त्र
• सामाजिक क्रिया
• राजनीतिक समाजशास्त्र की मूलभूत अवधारणाएँ
• प्रभुत्व: करिश्माई, परम्परागत और कानूनी
• सामाजिक स्तरीकरण का सिद्धान्त: वर्ग, प्रस्थिति एवं शक्ति
• धर्म का समाजशास्त्र
• प्रोटेस्टेन्ट आचार और पूँजीवाद की आत्मा
• धर्म और आधुनिक पूँजीवाद: दुनियाँ के महान धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन
About the Author / Editor
शम्भूलाल दोषी ने साऊथ गुजरात विश्वविद्यालय सूरत, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर तथा महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक में अध्यापन कार्य किया है। आपने अध्यापन के अतिरिक्त पर्याप्त
अनुसंधान कार्य भी किया है। साथ ही सामाजिक परिवर्तन, स्तरीकरण तथा आदिम समाजों पर अधिकृत रूप से लिखा है। आपके कई अनुसंधान मोनोग्राफ भी प्रकाशित हुए हैं।
प्रकाशचन्द्र जैन नयी पीढ़ी के समाजशास्त्री है। इन्होंने सामाजिक आन्दोलन, सामाजिक परिवर्तन तथा आदिवासी और पिछड़े वर्गों पर कतिपय अनुसंधानात्मक रचनाएं प्रस्तुत की हैं। वर्तमान में वे राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, उदयपुर के समाजशास्त्र विभाग में सह प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।