About the Book
‘भारतीय समाजशास्त्र’, समाजशास्त्रीय निबंधों का संग्रह है। पाठकों को इन
निबंधों के माध्यम से उन सामाजिक और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्यों से परिचित
कराया गया है, जिन्होंने भारतीय समाजशास्त्र के सिद्धांतों, पद्धतियों और
सामाजिक प्रक्रियाओं के विकास की दिशाओं का निर्धारण किया है। सामाजिक
शक्तियां और ऐतिहासिक संदर्भ, ज्ञान और सिद्धांतों के चेतन या अचेतन ढंग को
किस प्रकार से प्रभावित करते हैं, यह इन निबंधों को पढ़ने से पाठकों को
आभास होगा।
इस पुस्तक की सामग्री को दो भागों में विभाजित किया गया है।
पहले भाग में सैद्धांतिक पक्षों से जुड़े हुए लेख हैं, जो भारतीय
समाजशास्त्र के सैद्धांतिक विकास पर प्रकाश डालते हैं। दूसरे भाग में
समाजशास्त्रीय विषय-वस्तु संबंधी भारतीय अध्ययनों से जुड़े हुए लेखों का
संकलन किया गया है। अन्त में, वर्तमान समय में समाजशास्त्र में आए परिवर्तन
एवं उनसे उत्पन्न समस्याओं पर विस्तार से विचार विमर्श किया गया है।
आशा करते हैं कि यह पुस्तक भारतीय समाजशास्त्र के शिक्षकों, विद्यार्थियों और सामान्य पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
Contents
खण्ड - 1• भारतीय समाजशास्त्र के सामाजिक अनुकूलन पर एक दृष्टिकोण / योगेन्द्र सिंह
• आदमी का प्रतिबिम्ब: भारत के समाजशास्त्र में विचारधारा और सिद्धांत / योगेन्द्र सिंह
• भारत में समकालीन सामाजिक ‘संकट’ और इसके आयाम / योगेन्द्र सिंह
• भारतीय समाज का परिचय: अनेकता में एकता और एकता में अनेकता / के.एल. शर्मा
• भारत में जाति एवं वर्ग / के.एल. शर्मा
• जाति और राजनीति: संख्या की परिकल्पना / दीपांकर गुप्ता
• धर्म और समाज: एक राजनीतिक विचलन / दीपांकर गुप्ता
खण्ड - 2• अर्थव्यवस्था और समाज: कृषीय-औद्योगिक एवं ग्रामीण-नगरीय संदर्भ / शिव बहाल सिंह
• राजनीति एवं समाज: राजनीतिक दल, शक्ति अभिजन, प्रशासन तन्त्र एवं नागरिकीय समाज (सिविल सोसायटी) / राजीव गुप्ता
• भारतीय समाज में स्त्री / मैत्रेयी चौधरी
• जनसंचार साधन और सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन / नरेश कुमार भार्गव
• जनसंख्या, स्वास्थ्य एवं शिक्षा / बी.के. नागला
• सामाजिक आंदोलन का समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य / हरिशचन्द्र दोषी
• परिवार, विवाह और नातेदारी / एस.एल. दोषी
• लोक, अभिजात एवं जनजातीय संस्कृति / एस.एल. शर्मा
• समाजशास्त्र और परिवर्तन की पनपती चुनौतियां / योगेन्द्र सिंह
About the Author / Editor
योगेन्द्र सिंह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के सेन्टर
फॉर द स्टडी ऑफ सोश्यिल सिस्टम्स में समाजशास्त्र के एमरीटस प्रोफेसर रहे।
इन्होंने अनेक विश्वविद्यालयों में वरिष्ठ शैक्षणिक एवं प्रशासनिक पद ग्रहण
किए। आप योजना आयोग, भारतीय समाजविज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) के शोध
परामर्श समिति के सदस्य रहे तथा समाजशास्त्र पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग
के राष्ट्रीय पैनल के संयोजक भी रहे हैं। इसके अतिरिक्त आप भारतीय
समाजशास्त्रीय परिषद के अध्यक्ष भी रहे हैं। आपने विभिन्न देशों के अनेक
विश्वविद्यालयों में भाषण दिए हैं तथा दक्षिण एशियाई देशों में क्षेत्रीय
कार्य किया है। समाजशास्त्र व सामाजिक मानवशास्त्र के प्रति आपके योगदान के
लिए आपको अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार भी मिले हैं।
मंजू भट्ट
ने 1976 में राजस्थान विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर की
उपाधि प्राप्त की। 1977 में इन्हे राजस्थान विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र
विभाग में प्रवक्ता के पद पर नियुक्त किया गया। आपने 1985 में दिल्ली स्कूल
ऑफ इकोनॉमिक्स, दिल्ली विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र विषय में एम.फिल. की
तथा 1988 में आपकी नियुक्ति राष्ट्रीय शैक्षिक संस्थान एवं शोध परिषद
(NCERT) में प्रवक्ता के रूप में हुई। 1995 में प्रो. भट्ट ने जवाहरलाल
नेहरू विश्वविद्यालय से पीएच.डी. प्राप्त की। NCERT में इन्होंने
समाजशास्त्र विषय की 11वीं और 12वीं की पाठ्यपुस्तकों का निर्माण और इसी
क्षेत्र में विभिन्न शोध कार्य किए। 2018 में NCERT के सामाजिक विज्ञान
शिक्षा विभाग में विभागाध्यक्ष के पद से आपने स्वेच्छा सेवा-निवृत्ति
प्राप्त की।