About the Book
प्रस्तुत पुस्तक समाजशास्त्रीय विचारों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि एवं समाजशास्त्रीय चिंतनों पर तत्कालीन सामाजिक परिस्थितियों के प्रभाव को स्पष्ट करते हुए, प्रारम्भिक समाजशास्त्रियों के विचारों की सारगर्भित विवेचना प्रस्तुत करती है। समाजशास्त्रीय विचारों पर रेमण्ड ऐरों (1965) से लेकर जाॅर्ज रिट्जर (1911) तक कई पुस्तकें प्रकाशित हुई जिसके पफलस्वरूप समाजशास्त्र में विचारों, परिस्थितियों एवं दर्शन पर गम्भीर चिन्तन प्रारम्भ हुए। अगस्ट काम्टे, हर्बर्ट स्पेन्सर, कार्ल मार्क्स, इमाइल दुर्खाइम तथा मैक्स वेबर के मौलिक विचारों की विवेचना का हिन्दी भाषा में यह प्रयास, समाजशास्त्रीय विचारों के सभी पहलुओं का विवेचन एवं विश्लेषण प्रस्तुत करता है। मुझे आशा है कि यह पुस्तक हिन्दी भाषी छात्रों, शिक्षकों एवं स्वतंत्र पाठकों के लिए एक महत्वपूर्ण सन्दर्भ ग्रन्थ की कमी को पूरा करेगी। इस पुस्तक लेखन में कई प्रमुख समाजशास्त्रियों के विचारों को समाहित करते हुए एक स्पष्ट एवं तर्कपूर्ण विवेचना की गई है। इसमें प्रस्तुत विश्लेषण एवं तुलनात्मक विचार इसे एक सारगर्भित सन्दर्भ ग्रन्थ के रूप में स्थापित करेंगे।
Contents
• समाजशास्त्रीय विचारों का परिचय
An Introduction to Sociological Thought
• समाजशास्त्र का उदय एवं समाजशास्त्रीय विचारों का विकास
Emergence of Sociology and the Development of Sociological Thoughts
• समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य
Sociological Perspective
• अगस्त काॅम्टे
Auguste Comte, 1798–1857
• हर्बर्ट स्पेंसर
Herbert Spencer, 1820–1903
• कार्ल मार्क्स
Karl Marx, 1818–1883
• इमाइल दुर्खाइम
Emile Durkheim, 1859–1917
• मैक्स वेबर
Max Weber, 1864–1920
About the Author / Editor
बी.पी. बडोला वर्तमान में राजकीय स्नात्कोतर महाविद्यालय, नगरोटा बगवां, जिला कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश में समाजशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर हैं। डाॅ बडोला 1989 से उच्च शिक्षा सेवा में हैं। इनके अब तक 20 से अधिक शोध पत्र अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं। आप इंडियन सोशियोलाॅजिकल सोसायटी के आजीवन सदस्य हैं। आप भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में यूजीसी एसोसिएट भी हैं। जहां पर आप ‘वेदान्त दर्शन एवं उत्तर आधुनिक परिस्थिति’ पर शोध कर रहे हैं।