समाजशास्त्र विश्वकोश (SAMAJSHASTRA VISVAKOSH – Encyclopaedia of Sociology) – Hindi

Harikrishna Rawat

समाजशास्त्र विश्वकोश (SAMAJSHASTRA VISVAKOSH – Encyclopaedia of Sociology) – Hindi

Harikrishna Rawat

-15%1016
MRP: ₹1195
  • ISBN 9788170334477
  • Publication Year 1998
  • Pages 438
  • Binding Hardback
  • Sale Territory World

About the Book

भारत के लिये समाजशास्त्र एक आयातित विषय रहा है, अत: प्रारम्भ में इसका अध्ययन-अध्यापन सभी स्थानों पर आंग्ल भाषा में ही होता था। देश के स्वतंत्र होने के बाद ज्ञान के प्रसार एवं वृद्धि की दृष्टि से यह अनुभव किया गया कि अध्ययन-अध्यापन का आधार क्षेत्रीय और राष्ट्र भाषा को बनाया जाये। अत: समाजशास्त्र-विषयक ज्ञान के अर्जन करने वाले पाठकों की क्षुधा की तृप्ति हेतु इस कोश के प्रकाशन की योजना को क्रियान्वित किया गया। अब तक इस विषय पर हिन्दी भाषा में व्यवस्थित और मानक लेखन के प्रयास बहुत कम हुए हैं जो पाठकों को इस विषय की प्रामाणिक जानकारी दे सकें।
हिन्दी के पाठकों को समाजशास्त्र का परिचय कराने के उद्देश्य से जहाँ इसमें समाजशास्त्र की लगभग दो हजार अवधारणाओं और शब्दावली (terms) को सम्मिलित किया गया है, वहीं दो नजदीकी अवधारणाओं में किन आधारों पर विभेद किया जा सकता है और कौन-कौन से लक्षण उनमें साम्यता प्रकट करते हैं, आदि बातों का उनके ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में सरलतम् रूप में समालोचनात्मक टिप्पणियों के साथ वर्णन-विश्लेषण किया गया है।
इस कोश के प्रथम दो संस्करणों का सर्वत्र, विशेषकर हिन्दी-भाषी क्षेत्रों, यथा उ.प्र., बिहार, म.प्र., राजस्थान, हरियाणा और यहां तक कि गुजरात और महाराष्ट्र में आशातीत स्वागत हुआ। प्राध्यापकगणों और विद्यार्थियों से प्राप्त सुझावों एवं समालोचनाओं को दृष्टिगत रखकर प्रस्तुत संस्करण में जहाँ कई नयी अवधारणाओं और पदों को जोड़ा गया है, वहीं अनेक अवधारणाओं की पूर्व व्याख्याओं में समीचीन फेर-बदल कर उन्हें अद्यतन बनाने का प्रयास किया गया है।
आशा है, यह कोश उन सभी पाठकों की ज्ञान-जिज्ञासाओं की तुष्टि करने का प्रयत्न करेगा जो समाजशास्त्र विषय का कम समय में अधिकाधिक ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं। यहीं नहीं, यह कोश सभी प्रकार की राज्य एवं केन्द्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिये भी विशेष उपयोगी सिद्ध होगा।


Contents



About the Author / Editor

चार दशक से भी अधिक समय से समाजशास्त्र के अध्ययन-अध्यापन से जुड़े प्रो. हरिकृष्ण रावत ने अपने शैक्षिक जीवन का समारम्भ महाराजा कालेज, जयपुर से तब किया जब राजस्थान के गिने-चुने महाविद्यालयों में हीं समाजशास्त्र विषय पढ़ाया जाता था। कुछ वर्षों पश्चात् इनका स्थानान्तरण राजस्थान के समाजशास्त्र विषय के प्रणेता महाविद्यालय, सनातन धर्म राजकीय महाविद्यालय, ब्यावर में हो गया, जहाँ उन्होंने एक लम्बे अर्से तक स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं में अध्यापन एवं शिक्षण द्वारा इस विषय का गहन अनुभव बटोरा। बाद में उपाचार्य और प्राचार्य पदों पर एक दीर्घ समय तक कार्य करते हुए 1992 में सेवानिवृत हुए।
प्रो. रावत के कई समाजशास्त्र-विषयक लेख शैक्षणिक पत्रिकाओं एवं समाचार-पत्रों आदि में समय-समय पर प्रकाशित होते रहे हैं। इस कोश के अतिरिक्त मानवशास्त्र कोश, सामाजिक चिन्तक एवं सिद्धान्तकार, मानवशास्त्रीय विचारक एवं सामाजिक शोध विषयों पर कुछ पुस्तकों का प्रणयण भी किया है। उनकी एक पुस्तक अंग्रेजी में ‘सोशियोलॉजी’ नाम से शीघ्र प्रकाश्य है।


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