About the Book
भारतीय समाज विभिन्न सजातीय, धार्मिक, भाषायी और क्षेत्रीय समूहों का न केवल एक संकलन है वरन् प्रत्येक समूह अपनी ऐतिहासिक और सामाजिक-सांस्कृतिक विशेषताओं में विभेदीकरण के सन्दर्भ में बहुत जटिल भी है। प्रस्तुत पुस्तक में भारतीय समाज की संरचना और प्रक्रियाओं को विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण प्रदान करने का प्रयास किया गया है। इसमें भारतीय समाज के उद्विकास के साथ-साथ सुधार आन्दोलनों पर भी प्रकाश डाला गया है। एकता और विभिन्नता के प्रतिमानों के विश्लेषण द्वारा यह भी प्रयास किया गया है कि पाठकों को भारतीय समाज में हुये परिवर्तनों के सम्बन्ध में समुचित ज्ञान प्राप्त हो। आशा है, यह पुस्तक विकास और परिवर्तन के परिप्रेक्ष्य में भारतीय समाज को विस्तारपूर्वक समझने में सहायक होगी।
Contents
• भारतीय समाज: एकता एवं विभिन्नता
• भारतीय समाज का उद्भव: सामाजिक-सांस्कृतिक आयाम
• सामाजिक-धार्मिक सुधार आन्दोलन
• राष्ट्रीय आन्दोलन: समाजशास्त्रीय आशय
• भारत में जनजातीय जीवन
• भारत में ग्रामीण एवं नगरीय समुदाय
• बंधुता, विवाह और परिवार
• जाति व्यवस्था
• अनुसूचित जातियाँ
• अनुसूचित जनजातियाँ
• अन्य पिछड़े वर्ग
• स्त्रियों की प्रस्थिति: समता की खोज
• दहेज प्रथा
• सामाजिक विचलन
• भारत में जनसंख्या समस्या और समाज
• राज्य और समाज
• सामाजिक परिवर्तन की अवधारणायें और प्रक्रियाएँ
• सामाजिक परिवर्तन के कारक
• राष्ट्रीय एकीकरण
About the Author / Editor
कन्हैया लाल शर्मा, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के पूर्व कुलपति एवं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के सेन्टर फाॅर द स्टडी आॅफ सोशल सिस्टम्स में समाजशास्त्र के प्रोफेसर रह चुके हैं। आपने प्रमुखतः सामाजिक स्तरीकरण व गतिशीलता एवं कृषक व जनजातीय आन्दोलनों पर अत्यन्त विस्तीर्ण रूप से लिखा तथा प्रकाशित किया है।
वर्तमान में आप काॅलेज द फ्रांस में अतिथि प्रोफेसर हैं।