समाजशास्त्र: एक मूल्यांकनात्मक परिचय (Samajshastra: Ek Mulyankanatmak Parichay – Sociology) Hindi

ज्योति सिडाना (Jyoti Sidana)

समाजशास्त्र: एक मूल्यांकनात्मक परिचय (Samajshastra: Ek Mulyankanatmak Parichay – Sociology) Hindi

ज्योति सिडाना (Jyoti Sidana)

-15%1016
MRP: ₹1195
  • ISBN 9788131611616
  • Publication Year 2021
  • Pages 418
  • Binding Hardback
  • Sale Territory World

About the Book

नवजागरण का दौर समाज विज्ञानों एवं मानविकी विषयों के प्रति एवं उनके शिक्षाशास्त्रीय पक्षों को गुणात्मक रूप से प्रभावित करता है। कालान्तर में यही पक्ष संस्थापन समर्थक एवं संस्थापन विरोधी उन विचारधाराओं को जन्म देता है एवं विकसित करता है जो समाजशास्त्र को बहुआयामी बना देती है। साथ ही समाजशास्त्र को नागरिकीय चेतना व सामाजिक एकजुटता का प्रतिनिधि बना देती है। 
प्रस्तुत पाठ्य पुस्तक इस समूची प्रक्रिया को सरल परन्तु समाजशास्त्रीय शब्दावली में प्रस्तुत करने का एक प्रयास है। लेखक का यह प्रयास पुस्तक को समाजशास्त्र की पुस्तकों के बाजार में विशिष्ट बनाता है। पुस्तक का प्रत्येक अध्याय अपने पूर्ववर्ती अध्याय को आगे ले जाता है। पुस्तक को नवीनतम ज्ञान प्रणाली के निकट लाने की पूरी कोशिश की गयी है जिसके कारण यह पुस्तक संदर्भ पुस्तक एव पाठ्य पुस्तक का मिश्रित रूप ले लेती है। इस पुस्तक में 18 अध्याय हैं जो समाज के अवधारणात्मक एवं सैद्धांतिक पक्षों को व्यावहारिक भाषा में प्रस्तुत करतें है। 
समाजशास्त्र की यह पुस्तक भारतीय विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के विद्यार्थियों विशेषतः हिन्दी भाषी विद्यार्थियों को समाज की व्यापक समझ से परिचित कराने मे समर्थ होगी। 


Contents

•  समाजशास्त्र: उत्पत्ति, प्रकृति, क्षेत्र एवं विषय वस्तु
•  समाजशास्त्र का अन्य समाज विज्ञानों से सम्बन्ध
•  समाजशास्त्र की क्लासिकीय परम्परा
•  समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य: वैज्ञानिक एवं मानवतावादी
•  समाज
•  समुदाय
•  सामाजिक समूह
•  समिति, संस्था एवं सामाजिक संगठन
•  सामाजिक संरचना एवं सामाजिक व्यवस्था
•  प्रस्थिति एवं भूमिका
•  संस्कृति
•  सामाजिक प्रतिमान एवं मूल्य
•  समाजीकरण
•  सामाजिक स्तरीकरण 
•  सामाजिक प्रक्रियाएं
•  सामाजिक नियंत्रण एवं सामाजिक परिवर्तन
•  सामाजिक गतिशीलता एवं वैश्वीकरण
•  समाजशास्त्र की उपयोगिता


About the Author / Editor

ज्योति सिडाना राजकीय कला कन्या महाविद्यालय, कोटा में समाजशास्त्र में सहायक आचार्य पद पर कार्यरत हैं। इन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से ‘दक्षिण एशिया अध्ययन‘ विषय में एम.फिल. तथा ‘राजनीति, समाज एवं ज्ञान-अभिजन‘ विषय पर पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की है। इन्हें राजस्थान समाजशास्त्र परिषद् द्वारा राजस्थान पर सर्वश्रेष्ठ समाजशास्त्रीय लेखन के लिए प्रो. ओ.पी. शर्मा स्मृति पुरस्कार (2011) तथा भारतीय समाज विज्ञान परिषद् द्वारा प्रो. राधा कमल मुखर्जी यंग सोशल साइंटिस्ट पुरस्कार (2012) प्राप्त है। वर्ष 2014-16 में यू.जी.सी. द्वारा रिसर्च अवार्ड तथा वर्ष 2018 में उच्च तकनीकी एवं संस्कृत विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा अकादमिक योगदान के लिए ‘राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान-2018’ द्वारा सम्मानित किया गया। 
इन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सेमिनारों में कई शोध-पत्र प्रस्तुत किए हैं। कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं/जर्नल में अब तक इनके 33 आलेख एवं शोध आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। पंजाब स्कूल बोर्ड, चंडीगढ़, वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय, कोटा एवं एन.सी.ई.आर.टी. की विभिन्न पुस्तकों/पाठ्य पुस्तकों में 29 पाठ/चैप्टर्स प्रकाशित हो चुके हैं। विभिन्न समाचारपत्रों एवं पत्रिकाओं में 135 लेख एवं सर्वे प्रकाशित हो चुके हैं। अंतर्राष्ट्रीय समाजशास्त्र परिषद् की ई-पत्रिका वैश्विक संवाद के संपादक मंडल की एक सदस्य के रूप में 80 लेखों का हिंदी अनुवाद किया है और तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।


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