About the Book
भारत में संगठन की प्रचलित धारणाओं से आगे बढ़कर प्रस्तुत पुस्तक में यह दर्शाया गया है कि समुदायिक संगठन द्वारा समुदाय की विद्यमान स्थितियों के परिप्रेक्ष्य में सेवार्थियों का कल्याण ही नहीं किया जाता है वरन् एक कदम और आगे बढ़कर आवश्यकतानुसार समुदाय की परिस्थितियों में बदलाव लाकर सेवार्थियों का पूर्ण कल्याण किया जाता है। इसी परिप्रेक्ष्य में समुदाय की वैचारिक पृष्ठभूमि में रैडिकल सोशल वर्क की विषद विवेचना की गई है। पुस्तक में समुदायिक संगठन के दर्शन के सम्बन्ध में अद्वितीय तथ्य प्रस्तुत करने के साथ-साथ समुदायिक संगठन के सिद्धांतों को भी एक नये कलेवर में प्रस्तुत किया गया है। हमारा विश्वास है कि भारतीय परिवेश में समुदायिक संगठन के सम्बन्ध में इस स्तर की पुस्तक अंग्रेजी या हिन्दी भाषा में अभी तक प्रकाशित नहीं हुई है।
Contents
• सामुदायिक संगठन का अर्थ एवं परिभाषा
• सामुदायिक संगठन की वैचारिक पृष्ठभूमि
• सामुदायिक संगठन का इतिहास
• समाज कार्य की एक प्रणाली के रूप में सामुदायिक संगठन
• सामुदायिक कार्य की प्रक्रिया और क्षेत्र
• सामुदायिक संगठन की विधियां एवं चरण
• सामुदायिक संगठन के प्रारूप
• सामुदायिक संगठन के कुछ तात्कालिक आयाम
• सामुदायिक संगठन के अंगभूत
• सामुदायिक संगठन के सिद्धान्त
• सामुदायिक संगठन के उद्देश्य
• सामुदायिक संगठन का दार्शनिक पक्ष
• सामुदायिक कार्य की निपुणतायें
• सामुदायिक पेटिकायें एवं सामाजिक अभिकरणों की परिषद्
• सामुदायिक संगठन में संगठनकर्ता की भूमिका
• समुदाय
• सामुदायिक विकास
• सामुदायिक संगठन एवं सामाजिक क्रिया
• गरीबी निवारण कार्यक्रम एवं सामुदायिक संगठन
• सामुदायिक संगठन : एक केस स्टडी
About the Author / Editor
बालेश्वर पाण्डेय एक लम्बी अवधि तक महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी में समाजकार्य के प्रोफेसर पद पर कार्यरत थे। इस दौरान ये सात वर्षों तक विभागाध्यक्ष एवं दो बार संकायाध्यक्ष रह चुके हैं। आप कई विश्वविद्यालयों में समाजकार्य के अतिथि प्रोफेसर भी रहे हैं। डॉ. पाण्डेय को तीन दशक से अधिक का शैक्षिक एवं शोध क्षेत्र में व्यापक अनुभव है। आप कई विश्वविद्यालयों के अध्ययन मण्डल, चयन समिति और शोध समिति के सदस्य भी रह चुके हैं। समाजकार्य एवं मानव संसाधन से संबंधित आपके 22 उच्च स्तरीय ग्रन्थ प्रकाशित हैं।
तेजस्कर पाण्डेय उत्तर प्रदेश के लोकसेवा आयोग द्वारा चयनित वरिष्ठ अधिकारी हैं। इन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार के विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए समाजकार्य से संबंधित कई लेखों और महत्वपूर्ण पुस्तकों की रचना की है। इन्होंने सरकार की अतिमहत्वपूर्ण जिम्मेदारियों के निर्वाह के साथ समाजकार्य के क्षेत्र में जो योगदान दिया है, वह सर्वथा सराहनीय है। सह-लेखक के रूप में हाल ही में प्रकाशित पुस्तकें सामाजिक वैयक्तिक सेवा कार्य एवं सामाजिक सामूहिक सेवा कार्य, MSW, NET तथा प्रशासनिक सेवा प्रतियोगी छात्रों के लिए उपयोगी सिद्ध हुयी हैं।