About the Book
यह पुस्तक सामुदायिक विकास एवं संगठन से संबंधित प्रमुख अवधारणाओं, दृष्टिकोणों और व्यवहारिक प्रक्रियाओं की संक्षिप्त किंतु व्यापक रूप से विवेचना प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक समुदायों के प्रकार, उनकी विशेषताओं, भारत में सामुदायिक विकास के ऐतिहासिक विकास तथा पंचवर्षीय योजनाओं और पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका को रेखांकित करती है, जो जमीनी स्तर की शासन प्रणाली को सुदृढ़ बनाने में सहायक हैं।
यह पुस्तक जनसहभागिता, लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण और सामुदायिक मुद्दों के समाधान में विकास कार्यकर्ताओं एवं स्वैच्छिक संगठनों की भूमिका को विशेष महत्व देती है। इसमें सामुदायिक संगठन की अवधारणा, उद्देश्य, सिद्धांत, घटक एवं रणनीतियों पर विस्तृत जानकारी दी गई है, साथ ही विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों एवं पहलों के माध्यम से इसके व्यावहारिक अनुप्रयोग को भी दर्शाया गया है।
पुस्तक में सामुदायिक कोष, संगठनात्मक दक्षता, योजना निर्माण की विधियाँ एवं प्रभावी हस्तक्षेप रणनीतियों का भी वर्णन है। यह पुस्तक समाज कार्य के विद्यार्थियों, क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं एवं शोधकर्ताओं के लिए एक उपयोगी संदर्भ-सामग्री है, जो सतत् एवं समावेशी सामाजिक परिवर्तन हेतु समुदायों से जुड़ने की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करती है।
Contents
समुदाय
सामुदायिक विकास
सामुदायिक विकास कार्यक्रम
सामुदायिक विकास की दिशा एवं सामुदायिक विकास में जनसहयोग
सामुदायिक विकास तथा लोकतांत्रिक शक्ति का विकेन्द्रीकरण
सामुदायिक संगठन
सामुदायिक संगठन का ऐतिहासिक विकास एवं समाज कार्य में इसकी सार्थकता
सामुदायिक संगठन की प्रणालियाँँ एवं कार्यविधियाँॅ
सामुदायिक कोष
सामुदायिक संगठन में निपुणता
सामुदायिक संगठन के उपागम, प्रारूप, एवं रणनीतियाँ
About the Author / Editor
राजेश कुशवाहा, वर्तमान में डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा के समाज विज्ञान संस्थान में संचालित समाज कार्य विभाग में उपाचार्य पद पर कार्यरत हैं। आपके निर्देशन में एम.फिल. स्तर पर एक दर्जन शोध कार्य सम्पन्न हो चुके हैं। पूर्व में डॉ. कुशवाहा, छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय से संबद्ध राजीव गांधी स्नातकोत्तर महाविद्यालय इलाहाबाद, डॉ. बी.आर. अम्बेडकर समाज विज्ञान संस्थान, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में समाज कार्य विषय के अध्यापन कार्य एवं क्षेत्र कार्य प्रशिक्षण से जुड़े रहे हैं। आप एम.एस.डब्लू., यू.जी.सी.-नेट, पी-एच.डी. एवं पी.जी.डी.आई.आर.पी.एम. उपाधि धारक हैं। आप विश्वविद्यालय में विभिन्न प्रशासनिक दायित्वों का भी निर्वहन कर रहे हैं। आप लगभग एक दर्जन स्वैच्छिक संगठनों से जुडे़ हुए हैं। विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर आपके एक दर्जन से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। डॉ. कुशवाहा द्वारा लिखित पुस्तकें विभिन्न विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में संचालित की जा रहीं हैं।
संदीप कुमार सिंह वर्तमान में छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के सतत् शिक्षा एवं प्रसार विभाग में आचार्य एवं समाज विज्ञान एवं मानविकी संकाय के संकायाध्यक्ष के रूप में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। आपके मार्गदर्शन में अनेक शोध कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण हो चुके हैं। आप एम.एस.डब्ल्यू. एवं पी-एच.डी. उपाधिधारक हैं तथा विश्वविद्यालय में विभिन्न प्रशासनिक दायित्वों का कुशलतापूर्वक निर्वहन कर रहे हैं। आप लगभग एक दर्जन स्वैच्छिक संगठनों से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं और सामाजिक क्षेत्र में निरंतर योगदान दे रहे हैं। आपके 36 से अधिक शोध पत्र प्रतिष्ठित राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। समाज कार्य विषय पर आपकी कई महत्वपूर्ण पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। आपका शैक्षणिक योगदान समाज सेवा, सामुदायिक विकास और उच्च शिक्षा की उत्कृष्टता के प्रति आपकी प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त करता है।