About the Book
समाज कार्य मानवीय सम्बन्ध, प्राविधिक कौशल, वैज्ञानिक ज्ञान तथा वृत्तिक सेवाओं का एक एकीकृत अभिगम है, जो जनतांत्रिक एवं मानवीय दर्शन पर आधरित है। इसका उपयोग सामान्यतया उन स्थितियों में होता है जब लोग व्यत्तिगत या सामूहिक रूप से असमायोजित हो जाते हैं और उन्हें किसी बाह्य सहायता की आवश्यकता होती है। यह एक ऐसी वृत्ति है जो न केवल सामाजिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देती है वरन् सेवार्थियों की आन्तरिक क्षमताओं का विकास भी करती है।
उपरोक्त वैचारिक पृष्ठभूमि में प्रस्तुत पुस्तक समाज कार्य के सैद्धान्तिक पक्ष, उसकी विधियों एवं क्षेत्र को एकीकृत रूप में प्रस्तुत करती है। इसमें सामाजिक सेवाओं, समाज कल्याण, सामाजिक विकास, सामाजिक नीति एवं तत्सम्बन्धी अभिगम, रचनात्मक कार्य, स्वैच्छिक कार्य एवं मानवाधिकार आदि विषयों का गहन विवेचन किया गया है। साथ ही, सामाजिक क्रिया के परिप्रेक्ष्य में सर्वोदय एवं अन्त्योदय दर्शन का भी विश्लेषण किया गया है। इसके अतिरिक्त लोक सेवा आयोगों की परीक्षाओं में समाज कार्य को एक वैकल्पिक विषय के रूप में सम्मिलित करने के फलस्वरूप इस पुस्तक की उपयोगिता समाज कार्य छात्रों के साथ-साथ विभिन्न प्रतियोगी परीक्षार्थियों के लिए भी हो गई है।
Contents
खण्ड - I समाज कार्य का सैद्धांन्तिक पक्ष• समाज कार्य का अर्थ निरूपण
• समाज कार्य का दर्शन
• समाज कार्य एवं अन्य सामाजिक विज्ञान
• समाज कार्य की वैचारिक पृष्ठभूमि
• समाज कार्य से संबंधित कुछ प्रत्यय
• समाज कार्य की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
• समाज कार्य का व्यावसायिक स्वरूप
खण्ड - II समाज कार्य की विधियां• सामाजिक वैयक्तिक सेवाकार्य
• सामाजिक सामूहिक सेवाकार्य
• सामुदायिक संगठन
• समाज कल्याण प्रशासन
• समाज कार्य शोध
About the Author / Editor
बालेश्वर पाण्डेय, पूर्व प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, समाज कार्य विभाग, महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ, वाराणासी हैं। इन्हें तीन दशकों से अधिक का शैक्षिक एवं शोध क्षेत्र में व्यापक अनुभव है। इनकी अनेक पुस्तकें एवं लेख प्रकाशित हुए हैं।