About the Book
प्रस्तुत पुस्तक की संरचना प्रमुख रूप से समाज विज्ञान और व्यावसायिक प्रशासन के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिये की गई है। यह पुस्तक सामाजिक सर्वेक्षण एवं अनुसंधान के विभिन्न पहलुओं का विस्तार से वर्णन करती है। अन्य पुस्तकों और इसमें मुख्य अंतर यह है कि यह लेखक के निष्कर्षों, जो उनके गहन शोध अनुभवों पर आधारित हैं, को अन्य विद्वानों के अनुभवों के साथ जोड़कर देखती है। संक्षेप में, पुस्तक का प्रमुख उद्देश्य न केवल छात्रों को सामाजिक सर्वेक्षण एवं अनुसंधान विषय की प्राथमिक एवं सैद्धान्तिक जानकारी प्रदान करना है वरन् शोधार्थियों को शोध कार्य में आने वाली मूलभूत जटिलताओं से परिचित कराना भी है।
पुस्तक की विश्लेषणात्मक प्रक्रिया अन्तरविषयक है जबकि भारतीय समाज के सन्दर्भ में किये गये आनुभाविक अध्ययनों के उद्धरण विषय को अधिक सुस्पष्ट बनाते हैं। यह पाठकों को उनकी आवश्यकताओं और उपयोगिताओं के अनुकूल अध्यायों के चयन में यथेष्ट लचीलापन प्रदान करती है।
Contents
• वैज्ञानिक अनुसंधानः विशेषताएँ, प्रकार एवं पद्धतियाँ
(Scientific Research:
Characteristics, Types and Methods)
• सामाजिक सर्वेक्षण (Social Survey)
• प्राक्कल्पनाएँ (Hypotheses)
• जाँच का तर्क (Logic of Inquiry)
• प्रतिदर्शन (Sampling)
• प्रश्नावली और साक्षात्कार सूची
(Questionnaire and
Interview Schedule)
• साक्षात्कार (Interview)
• अवलोकन (Observation)
• वैयक्तिक अध्ययन (एकल विषय अध्ययन) (Case Study)
• विषय-वस्तु (अन्तर्वस्तु) विश्लेषण (Content Analysis)
• आधार सामग्री संसाधन, सारणीयन, आरेखीय प्रदर्शन और विश्लेषण
(Data Processing,
Tabulation, Diagramatic Representation and Analysis)
• केन्द्रीय प्रवृत्तियों का मापन (Measures of Central
Tendency)
• प्रसार के माप (Measures of
Dispersion)
• साहचर्य के माप (Measures of
Association)
About the Author / Editor
राम आहूजा राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के समाजशास्त्र विभाग के प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष एवं भारतीय समाज विज्ञान शोध परिषद (आई.सी.एस.एस.आर.) के सीनियर फेलो रहे। दीर्घ शैक्षणिक व शोध अनुभव के आधार पर उनकी अनेक पुस्तकें और शोध प्रबन्ध प्रकाशित हो चुके हैं। विभिन्न राष्ट्रीय और प्रादेशिक अकादमियों और प्रशासकीय प्रशिक्षण संस्थाओं में वे दो दशकों तक अतिथि-वक्ता रहे। इनकी लिखी पुस्तक अपराधशास्त्र पर वर्ष 1984 में गोविन्दवल्लभ पन्त पुरस्कार एवं वर्ष 1998 में कलकत्ता विश्वविद्यालय द्वारा वायलेंस अगेन्सट वुमैन पर सुप्रभा देब गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया।