भारत का जनजातीय इतिहास (BHARAT KA JANJATIYA ITIHAS – Tribal History of India) Hindi

Mangal Chand Meena

भारत का जनजातीय इतिहास (BHARAT KA JANJATIYA ITIHAS – Tribal History of India) Hindi

Mangal Chand Meena

-15%931
MRP: ₹1095
  • ISBN 9788131610213
  • Publication Year 2019
  • Pages 268
  • Binding Hardback
  • Sale Territory World

About the Book

प्रस्तुत पुस्तक आद्य-ऐतिहासिक जनजातीय लोग तथा उनसे प्रासंगिक भू-दृश्य पर केन्द्रित है। इसमें उनके अतीत का गौरव, वर्तमान की कशिश एवं भविष्य की सम्भावनाओं सहित समकालीन स्थान, समय व विद्यमान सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक परिस्थितियों व राजनैतिक घटनाओं, जीवन शैली, मान्यताओं, परम्पराओं तथा लोकगीत-संगीत आदि का चित्रण किया गया है। साथ ही पाषाण युग से लेकर वैदिक काल, महाकाव्य काल व महाजनपद तक के दीर्घकाल में स्थानीय निवासियों एवं उनसे सम्बन्ध्ति घटनाओं की एक ही स्थान पर उपलब्धता इतिहास, भूगोलशास्त्र, समाजशास्त्र, मानव विज्ञान के विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं, प्रतियोगी-परीक्षार्थियों, शिक्षक वर्ग, जनजातियों से जुड़े सरकारी तन्त्र, एन.जी.ओ., मीडिया व सामाजिक चिंतकों के लिए आशातीत उपयोगी सिद्ध होगी। उक्त उद्देश्य से पूर्ण कोशिश रही है कि लेखन कार्य तर्कसंगत एवं सत्यपरक हो। तदनुसार, शुरुआती फील्ड सर्वे, विभिन्न वैकल्पिक स्रोत जैसे साहित्यक व ऐतिहासिक स्रोत, सिक्के, शिलालेख, लोकगीत-संगीत, भ्रमणकारी बाहरी विद्वानों के संस्मरणों और विशेषतः पुरातात्विक खुदाइयों से मिली वैज्ञानिक जानकारियों से इस पुस्तक को परिमार्जित किया गया है। लेखन कार्य को विस्तार एवं गहराई प्रदान करने के उद्देश्य से विदेशी, अरबी, ग्रीक, चीनी, पश्चिमी देशों के विद्वानों, इतिहासकारों, भूगोलशास्त्रियों आदि के बहुआयामी व उपयोगी साहित्य को समाहित कर पुस्तक को यथासम्भव सत्यपरक एवं विश्वसनीय बनाने का प्रयास किया गया है। अन्त में, पाठक को विषयवस्तु को यथार्थ रूप में समझने के ध्येय से, यथास्थान विषयपरक अंक-तालिकाओं, चित्रों, मानचित्रों, सिक्कों, शिलालेखों को प्रदर्शित करने के साथ-साथ अध्यायों के अन्त में पर्याप्त संदर्भ फुटनोट भी दिए गए हैं।


Contents

भारतीय इतिहास : एक सिंहावलोकन
भारत की जनजातियां : अभी लम्बी यात्रा शेष है
अबोरिजिन्स या प्रोटो-द्रविड़ और द्रविड़ एक समान नहीं बल्कि भिन्न-भिन्न लोग हैं
प्रागैतिहासिक कालीन विभिन्न गणचिह्नधारी लोग
गौरवशाली सिंधु सभ्यता अर्थात ‘हड़प्पा’ संस्कृति
सिंधु सभ्यता एवं समकालीन स्थानीय निवासी
पूर्व ऐतिहासिक उत्तरी एवं उत्तरी-पश्चिमी भू-भाग की मूल सभ्यताएं
पूर्व वैदिक एवं वैदिक संस्कृतियां : एक दिग्दर्शन
रामायण-महाभारत कालीन ‘मत्स्य’ जनजातीय शासन व्यवस्थाएं
जनपद/महाजनपद समयकालीन विभिन्न आद्य-ऐतिहासिक देश
प्राचीन प्रसिद्ध मथुरा नगरी : एक पुनर्खोज
महाभारत प्रसिद्ध यशस्वी ‘मत्स्य’ देश
दक्षिण का पण्डिया (पण्डियन) देश : एक उन्नत संस्कृति की अनूठी यात्रा
परिशिष्ट : ‘पण्डिया’ और ‘मत्स्यों’ के बीच समीपता, समानता एवं समान आद्य-ऐतिहासिक विरासत


About the Author / Editor

मंगल चंद मीना ने राजस्थान विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर करने के पश्चात् तीन वर्ष तक उसी विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया तथा उसके उपरान्त अखिल भारतीय सिविल सेवा में चयन होने पर विभिन्न प्रान्तों में कार्यकारी वरिष्ठ प्रशासनिक पद का अनुभव प्राप्त किया। इसी दौरान उदयपुर में सुखाड़िया विश्वविद्यालय में गेस्ट लेक्चरर की हैसियत के साथ-साथ ‘मेवाड़ का इतिहास और संस्कृति’ तथा ‘मेवाड़ की प्राचीन संस्कृति एवं कला’ गोष्ठियों में भी अहम भागीदारी निभाई। इसी कड़ी में उनके विभिन्न लेख अनेक प्रख्यात समाचार-पत्रों व पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए।


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